जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
राज्य में स्टार्टअप्स को आगे बढ़ाने और उनकी सरल स्थापना के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आई-स्टार्ट योजना के तहत युवाओं को उद्योग लगाने के लिए साधन मुहैया कराने का प्रयास कर रहे है। जिससे कि राज्य के सभी वर्गों के व्यक्तियों को रोजगार के नये अवसर उपलब्ध हो सकें। इसी क्रम में राज्य सरकार की अनूठी पहल ने स्टार्टअप के वातावरण को स्थापित करने में अग्रणी कार्य किया है।योजना के तहत जयपुर जिला निवासी उद्यमी प्रीत जैन को राज्य सरकार द्वारा 6 लाख रुपये का ऋण स्वीकृत किया गया । प्रीत की शुरू से ही इच्छा थी कि वह अपना व्यवसाय शुरू करे। वह कोई स्टार्टअप स्थापित करना चाहते थे, लेकिन उद्यम लगाने में अधिक धनराशि के निवेश की आवश्यकता के कारण वह लक्ष्य पूरा नहीं कर पा रहे थे। जब आई-स्टार्ट योजना की जानकारी प्रीत को मिली तो उन्होंने स्वयं का रोजगार स्थापित करने का निश्चय किया।
5 हजार रुपये से शुरू किया स्टार्टअप।
प्रीत जैन बताते है कि जब देश में वैश्विक महामारी कोविड-19 से लोग जूझ रहे थे उस समय में कई लोग बेरोजगार हो गए थे। तब उन्होंने 5 हजार रुपये से स्वदेशी फॉर्म नाम से स्टार्टअप शुरु किया। जिसमें वे हर्बल सामग्रीयों का उपयोग करके घाघरा, साबुन, शैंपू और चाय मसाले जैसे अनेक प्रतिदिन काम आने वाले उत्पाद बनाना प्रारंभ किया। साथ ही अपने उत्पादों को घरों, बस स्टेशन, नुक्कडो़ं जैसी अनेक जगहों पर जा कर बेचना शुरू किया। काफी संघर्ष के बाद भी धन की कमी के कारण वे अपने स्टार्टअप को पहचान नहीं दे पा रहे थे।
योजना से स्वदेशी फॉर्म को मिली उड़ान।
प्रीत ने कहा कि योजना में ऋण प्राप्त करने के उपरांत स्वयं के स्टार्टअप के उत्पादों में वृद्धि की और उनको देश मे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिये बेचना शुरू किया तथा उनके इस कार्य ने गति पकड़ी। कार्य में रुकावट ना आए इसके लिए उन्होंने 50 से ज्यादा महिलाओं का सहयोग लिया और उन्हें भी रोजगार भी मुहैया कराया। अब प्रीत 250 महिलाओं को रोजगार देने के लिए प्रयासरत है। आज उनके स्टार्टअप की वैल्यू का आंकलन किया जाये तो लगभग 2 करोड़ 50 लाख से अधिक हैं। प्रीत कहते हैं कि राज्य सरकार की योजना के कारण ही उनका उद्यमी बनने का सपना साकार हो पाया है और आज वह बहुत खुश है और अपने सपनों को साकार करने के साथ-साथ अन्य को भी रोजगार दे रहे हैं।
युवाओं को दे रहे प्रशिक्षण।
प्रीत ने बताया कि वह कॉलेज के युवाओं को घरेलू उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलाते हैं। अब तक वे 500 से ज्यादा युवाओं को प्रशिक्षण दे चुके हैं।प्रशिक्षण के तौर पर प्रशिक्षणार्थियों को 5 हजार रूपये तक की राशि भी मुहैया कराई जाती है।
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