सपोटरा-विनोद कुमार जांगिड़।
राजस्थान के करौली जिले के अन्तर्गत सपोटरा उपखण्ड मुख्यालय से करीब पांच किलोमीटर दूर अरावली पर्वत शृंखला के मध्य स्थित रामठरा का प्राचीन चमत्कारिक शिव मन्दिर जन-जन की आस्था का केन्द्र है। पूरे सावन माह में यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। हर-हर महादेव के स्वर गुंजायमान होते हैं। यूं तो वर्षभर ही यहां श्रद्धालुओं की आवक रहती है, लेकिन श्रावण मास में भक्तों की संख्या और बढ़ जाती है। इतिहासकारों के अनुसार बंजारा जाति के लोगों ने रामठरा में किले के नीचे महादेव मन्दिर की स्थापना कराई थी। यह शिव मंदिर करीब 400 वर्ष पुराना प्राचीन मंदिर है। जो कालीसिल बांध के तट के समीप स्थित है। दर्जनों सीढिय़ां चढ़कर मंदिर तक पहुंचना पड़ता है।
बता दें की सैंकड़ों वर्ष प्राचीन रामठरा के शिव मन्दिर में भगवान शिव की बड़े आकार की श्वेत चमत्कारिक प्रतिमा है, जिसकी गर्दन टेढ़ी है। शिव के दाई ओर गणेशजी और बांयी ओर माता पार्वती की प्रतिमा है। जबकि सामने शिवलिंग व नंदी की प्रतिमाएं स्थापित हैं। इतिहासकार व बुुर्जुगों के अनुसार शिव भगवान की प्रतिमा प्रतिदिन तीन वर्ण बदलती है। सुबह के समय प्रतिमा का रंग श्वेत रहता है। जबकि दोपहर में यह नीला हो जाता है। सायंकाल प्रतिमा मटमेले रंग में नजर आती है। जिसे देख यहां पहुंचने वाले श्रद्धालु भी आश्चर्यचकित हो उठते हैं। यह प्राचीन शिव मंदिर ना केवल धार्मिक महत्व लिए हुए है। बल्कि प्राकृतिक दृष्टिकोण से भी रमणीक स्थल है। करीब पांच फीट की ऊंचाई पर स्थित मंदिर चारों ओर से हरियाली से लकदक है। पहाड़ी क्षेत्र में छाई हरियाली और समीप ही कालीसिल बांध का मनोरम दृश्य लोगों को आर्कृषित करता है। इस प्राकृतिक छठा को देखने के लिए भी बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं।
ऐसे मुड़ी प्रतिमा की गर्दन
किवदंती है की रियासतकाल के दौरान मंदिर के आसपास हजारों घर बसे हुए थे, लेकिन उस दौरान कुछ विशेष लोगों के अत्याचारों से तंग आकर लोगों को यहां से पलायन करना पड़ा। उसके बाद शिव भगवान की प्रतिमा ने भी चमत्कार दिखाते हुए अपना सिर दांऐ कंधे की ओर मोड़ लिया। शिव प्रतिमा के मुंह की ओर वर्तमान में सपोटरा क्षेत्र बसा हुआ है।
ढाई दशक पूर्व पार्वती की प्रतिमा हुई थी चोरी
इतिहासकार बताते हैं की करीब ढाई दशक पहले चोरो ने शिवभगवान की प्रतिमा को चोरी करने का प्रयास किया। लेकिन चोर सफल नहीं हो सके। ऐसे में चोर मंदिर से पार्वती की प्रतिमा को चुरा ले गए। प्रतिमा को चोरों ने कहीं जमीन में दबा दिया। लेकिन चोरों में आपसी सामंजस्य नहीं बैठ पाने के कारण लोगों को प्रतिमा के बारे मे बताया गया।उसके बाद प्रतिमा की पुन: स्थापना कराई गई।
मंदिर में वर्ष भर होते हैं धार्मिक आयोजन।
मंदिर के पुजारी विनोद शर्मा ने बताया कि रामठरा स्थित प्राचीन शिव मंदिर में वर्षभर अनेक धार्मिक आयोजन होते रहते हैं। शिव भक्तों के द्वारा रामठरा शिव मंदिर में श्रावण के महीने में शिव भक्तों के द्वारा भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और शिव भक्तों के द्वारा भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाए जाते हैं। दुग्ध अभिषेक किया जाता है, भगवान शिव का रोज श्रृंगार किया जाता है। मंदिर में शिव भक्तों के द्वारा दिन में तीन बार आरती की जाती है रात्रि को भजन संध्या का आयोजन होता है। इससे मंदिर में वर्षभर शिव भक्तों का तांता लगा रहता है। जो भी भक्त यहां पर सच्ची श्रद्धा के साथ आकर भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते है और मनौती मांगते है उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है।
अपनी ओर आकर्षित करती है यहां की प्राकृतिक सुंदरता। 
रामठरा का यह प्राचीन शिव मंदिर ना केवल धार्मिक और आस्था का केंद्र है बल्कि प्राकृतिक दृष्टिकोण से भी रमणीक सुंदरता वाला स्थान है।75 मीटर ऊंचाई पर स्थित मंदिर चारों ओर से हरियाली से घिरा हुआ है। शिव मंदिर के पास ही रियासत कालीन रामठरा किला होने से देशी-विदेशी पर्यटक सैलानी भी यहाँ घूमने के लिए पहुंचते हैं। शिव मंदिर के एक और रामठरा किला स्थित है तो सामने भगवान गणेश जी का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है जहां पर हरवर्ष गणेश चतुर्थी पर मेला लगता है। गणेश मंदिर के पास ही बिलोनी माता का मंदिर है, बिलोनी माता के मंदिर के पास में ही काडिस और भैरव बाबा का मंदिर स्थित है, शिव मंदिर के दूसरी ओर सोलह सार बाबा का मंदिर, व हनुमान मंदिर स्थित है। शिव मंदिर के पास ही सपोटरा क्षेत्र का प्रसिद्ध कालीसिल बांध स्थित है जो वर्ष भर पानी से भरा रहता है जिसमें देशी-विदेशी  पर्यटक सैलानी पानी में जल क्रीड़ा करते हैं और स्टिमर की सवारी करने का मजा लेते हैं । कालीसिल बांध से खेतों में सिंचाई के लिए नहर खोली जाती है जिससे यहां के किसान भाई अपनी खेतो की सिंचाई करते हैं। 
बच्चे और ग्रामीण नहर में नहाकर आनंद लेते हैं। 
यहां की प्राकृतिक सुंदरता बरबस ही लोगों को अपनी ओर खींचती है।शिव मंदिर के समीप ही यहां पर विदेशी तकनीक से बड़े बड़े ध्यान लगाए गए हैं जो वर्ष भर हरे हरे फलों से लदे रहते हैं। पहाड़ी क्षेत्र में छाई हुई हरियाली और पास ही स्थित कालीसिल बाँध का मनोरम दृश्य लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है।मनमोहक प्राकृतिक छटा को देखने के लिए बड़ी संख्या में देशी-विदेशी लोग यहां पहुंचते हैं जिसके कारण यह स्थान धीरे-धीरे पर्यटक स्थल के रूप में पहचाने जाना लगा हैं।