अध्ययन बताते हैं कि जो लोग वजन कम करने में प्रयासरत हैं या फिर मोटे हैं उनमें घृहलिन
के रक्त स्तर काफी ज्यादा होते हैं जिसकी वजह से उन्हें बार बार भूख लगती रहती है।
जो लोग उपवास या किसी अन्य तरीके से भूखे रहकर वजन कम करने में प्रयासरत रहते हैं उनमें
भी घृहलिन के उच्च रक्त स्तर उन्हें निराशा में धकेलते रहते हैं । यदि वजन कम करना
हैं और घटे हुए वजन को भविष्य में बनाए रखना तो घृहलिन के स्तर को नीचे रखना होगा।
इस हार्मोन के स्तर रक्त ज्यों ही बढ़ते हैं, आमाशय जल्दी से खाली हो जाता है जिसकी
वजह से भूख जल्दी लगती है। जब आमाशय खाली होता है तो घृहलिन हार्मोन बनाना प्रारंभ
हो जाता है। इस प्रकार व्यक्ति एक तरह के चक्र में फंस जाता है और वजन ज्यों का त्यों
या फिर और अधिक बढ़ जाता है। अब सवाल उठता है कि ऐसा क्या किया जाए कि इस हार्मोन के
रक्त स्तर को ऐसा रखा जाए कि इस से होने वाले फायदे तो मिलते रहें पर वजन भी नियंत्रित
रहे।
घृहलिन कम मात्रा में बने इसके लिए भोजन से कोई एक घंटे पहले सेव, अमरूद, नाशपाती जैसे
फलों का सेवन करना चाहिए ताकि आमाशय भरा सा रहे। खाने की शुरुआत खीरा, ककड़ी,
पनीर, गाजर और मूली आदि से करनी चाहिए और इनके भी पहले एक गिलास पानी पीना चाहिए। खाने
में हरी पत्तियों वाली सब्जियां, सुखी रेशेदार सब्जियां जैसे सांगरी, ग्वारफली या अन्य
फलियां एवम् चिकन आदि का उपयोग करना चाहिए। रोटियां जहां तक संभव हो मिस्सी या फिर
बाजरे जैसे अनाज की हों तो और भी बेहतर होगा। भांग धतूरा आदि घृहलिन के उत्पाद को तेजी
से बढ़ाते हैं जिसके फलस्वरूप तेज भूख लगती है।
अंत में, मानसिक तनाव या अत्यधिक हड़बड़ाहट शरीर के हार्मोन्स के साथ बड़ी गड़बड़ करते
हैं। मिथ्या या नफरत भरे तर्क वितर्क लंबे समय में घातक होते हैं और संभयतया घृहलिन
को हृदय की देखभाल से बाधित करते हैं जिससे वजन भी अनियंत्रित होता है और हृदयाघात
की संभावनाओं से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।
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