शरीर रचना विज्ञान के अनुसार सिर यानि स्कैल्प के माने खोपड़ी के ऊपर चढ़ी मोटी चमड़ी की परत को कहा जाता है। यहां की यह चमड़ी शरीर की बाकी चमड़ी से काफी अलग तरह की होती है और इसके रोग और अन्य समस्याएं भी कुछ अलग हो सकती हैं। जैसा कि आप जानते हैं कि सिर की देखभाल भी कुछ अलग तरह से करनी पड़ती है। भारत में लोग सालाना अपने बाल और सिर की चमड़ी की देखभाल पर कोई 24 हजार करोड़ रुपए खर्च करते हैं जबकि पूरे विश्व में तकरीबन 7 लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा व्यय किए जाते हैं। अमेरिका में कोई दस लाख लोग हर महीने बालों के गिरने का समाधान ढूंढने गूगल करते हैं। आंवले के तेल की बिक्री गत वर्ष में 169 प्रतिशत से भी ज्यादा बढ़ गई है। आजकल लोग ऑलिव ऑयल, बायोटिन और कोलेजन के पीछे पड़े हैं। बालों की अपनी स्टाइल है, अपनी राजनीति और अपना इतिहास।
जहां तक सिर का सवाल है उसकी अपनी समस्याएं होती है। एक काफी घबराहट और लज्जा वाली
समस्या है बालों का एक गोलाई में पूरी तरह गायब हो जाना जिसे एलोपेसिया एरिएटा कहा
जाता है। एक अनुभवी चिकित्सक इस समस्या से पूर्ण छुटकारा दिला सकता है बशर्ते कि रोगी
अपने मानस को सुदृढ़ बना सके। सिर में कई बार फोड़े फुंसियां भी हो जाती हैं जोकि ज्यादातर
बार स्वयं ठीक हो जाती हैं पर कभी कभी कुछ दवा भी लेनी पड़ सकती है। सिर के रिंग वॉर्म
फंगल इन्फेक्शन को टीनिया कैपिटिस कहा जाता है। इसका इलाज लंबा चल सकता है पर संभव
है। कई बार इस क्षैत्र में एलर्जी और कुछ अन्य चर्म रोग भी होते जिनका यदि सही निदान
हो जाए तो इलाज आसान ही होता है जैसे कि बालों को रंग करने से हुई एलर्जी।
इसके अलावा एक बड़ी आम समस्या है रुसी यानि डैंड्रफ की जिसे सेबोरिक डर्मेटाइटिस कहा
जाता है। इसमें सिर की चमड़ी पर सफेद पतली परतें जम जाती है, खुजली आने लगती है और
आस पास की त्वचा लाल हो जाती है। कई बार तो यह रुसी अपने आप ठीक हो जाती है पर काफी
मामलों में चिकित्सक की राय भी लेनी पड़ती है।
सिर की बीमारियों में सबसे तकलीफदेह बीमारी स्कैल्प सोरायसिस होती है क्योंकि यह पूर्णरूपेण
ठीक नहीं होती, शरीर की त्वचा में अन्य जगह फैल सकती है और कभी कभी अन्य अवयवों
को भी प्रभावित कर देती है जिनमें जोड़ प्रमुख हैं। जब भी सिर में उठे हुए, पपड़ियां
बिखेरते सफेद धब्बे हों जिनमें खुजली भी आती हो तो सोराइसिस का शक तुरंत होना चाहिए।
दिखने में यह स्थिति रुसी यानि डैंड्रफ जैसी लग सकता है पर होती नहीं है इसलिए निदान
आवश्यक है। यह एक रोग प्रतिरोधक तंत्र की गड़बड़ी है जिसने त्वचा की कोशिकाएं बहुत
तेजी से बनने लगती हैं और त्वचा मोटी होने लगती है।
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