जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया ने बयान जारी कर कहा कि, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का ट्वीट देखा राजस्थान के बिजली संकट और भारतीय जनता पार्टी के राजस्थान के सभी जिलों में प्रदर्शन को लेकर, उन्होंने कहा कि भाजपा जो प्रदर्शन कर रही है वह ठीक नहीं है। डॉ. पूनिया ने कहा कि, मुझे लगता है कि राजस्थान में जिस तरीके से बिजली संकट हुआ और इस बिजली संकट के प्रबंधन की विफलता मुख्यमंत्री केंद्र व भाजपा के माथे पर मड़ना चाहते हैं।राजस्थान में बिजली का मिस-मैनेजमेंट यह जाहिर सी बात है, कोयले की कमी की बात अक्सर की जाती है, लेकिन 24 अप्रैल के राजस्थान सरकार के डीआईपीआर के पत्र में यह स्पष्टीकरण दिया गया है राजस्थान में कोयले की कोई किल्लत नहीं है, बिजली की निर्बाध आपूर्ति करेंगे, यह पत्र मुख्यमंत्री की कथनी और करनी की पोल खोलता है।
मुझे लगता है राजस्थान पिछले 3 सालों में जिस तरीके से बिजली की आपूर्ति के मामले में पीड़ित था, अब यह पराकाष्ठा है। प्रदेश का विद्यार्थी परीक्षा के मौके पर बिजली कटौती से पीड़ित है, प्रदेश का आमजन, किसान और व्यापारी भी इस भीषण गर्मी में पीड़ित है। लोक कल्याण और निर्बाध बिजली की आपूर्ति का दावा करने वाली और जनघोषणा पत्र में इन बातों का उल्लेख करने वाली कांग्रेस सरकार के मुखिया के लिए अग्निपरीक्षा है, इस गर्मी में राजस्थान के लोगों को निजात दिलाने की। पहली बार तो मुख्यमंत्री बार-बार कहते थे कि विपक्ष की भूमिका राजस्थान में क्या है, भाजपा लगातार जनहित के मुद्दों को लेकर प्रदर्शन कर रही है तो उनको ऐतराज होता है। 2 वर्ष का समय कोरोना की मेहरबानी से निकल गया, जब लोग सड़कों पर नहीं थे, अब सड़कों पर निकले हैं तो उनको ऐतराज है।
मुख्यमंत्री जिस तरीके से सियासी गैंबलिंग करते हैं उसी का नतीजा है राजस्थान में बिजली का पिछले 3 वर्षों से कुप्रबंधन है, इसी कुप्रबंधन के कारण राजस्थान में बिजली संकट खड़ा हुआ है। इस बिजली संकट का कोई जिम्मेदार है तो स्वयं अशोक गहलोत व उनकी सरकार है, केंद्र को कोसने के अलावा धरातल पर मुख्यमंत्री ने कोई काम नहीं किया है।
केंद्र सरकार की तमाम जनकल्याणकारी योजनाएं हैं, जिनको राज्य में प्राथमिकता से मुख्यमंत्री को जमीनी तौर पर लागू करना था, लेकिन ऐसा कुछ किया नहीं।राजस्थान में कानून व्यवस्था की स्थिति खराब है, बेरोजगारी से युवा पीड़ित हैं और किसान कर्जमाफी के छलावे से किसान प्रताड़ित हैं।