जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
जलदाय एवं भूजल मंत्री डॉ. महेश जोशी ने कहा है कि प्रदेशवासियों का आह्वान किया है कि वे भूजल की स्थिति में सुधार के लिए अपनी दिनचर्या में जल की हरसंभव बचत के लिए स्वयं से वादा करे, उसे हर हाल में निभाने का संकल्प लें। इसी से हमारा आने वाला कल सुरक्षित हो सकेगा।डॉ. जोशी इंदिरा गांधी पंचायती राज सभागार में अटल भूजल योजना के तहत दो दिवसीय आमुखीकरण कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि दैनिक जीवन में हम जल के उपभोग को लेकर अपनी आदतों में इस प्रकार बदलाव लाए, जिससे कम से कम पानी में अपनी नियमित आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सके।
जलदाय एवं भूजल मंत्री ने कहा कि राजस्थान नवाचारों का प्रदेश रहा है और विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद यहां के निवासियों का जीवट सभी के लिए मिसाल है। जल संरक्षण के लिए भी हमारे यहां गौरवशाली परम्पराएं रही है। ऐसे में आज जल के उपयोग के प्रति और अधिक संजीदा होने की जरूरत है। डॉ. जोशी ने कहा कि सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध है कि पानी सबको सुगमता और सहजता मिले, लेकिन भूजल की स्थिति में निरंतर सुधार हो यह भी हम सबकी चिंता होनी चाहिए। सरकार और विभागों के स्तर पर इस दिशा में चल रहे प्रयासों में सभी आगे बढ़कर अपना योगदान दें, यह समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग और भूजल विभाग दोनो एक दूसरे के पूरक है, इनके द्वारा ग्रास रूट स्तर तक लोगों का डेटाबेस तैयार किया जाए और प्रदेश में जल संरक्षण की मुहिम के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए अन्य विभागों के साथ मिलकर प्रचार प्रसार गतिविधियों को आगे बढ़ाया जाए। जलदाय मंत्री ने अधिकारियों को तुरंत डेटाबेस तैयार करने के निर्देश भी दिए। जलदाय एवं भूजल राज्य मंत्री अर्जुन सिंह बामनिया ने कहा कि वर्षा जल का संरक्षण करते हुए इससे भूजल स्तर में सुधार के लिए सभी विभाग विशेष प्रयास करे। उन्होंने कहा कि बांधों के कैचमेंट एरिया में छोटे-छोटे एनीकट निर्माण एवं नदी-नालों के किनारे और वनभूमि पर बड़ी संख्या में पेड़ लगाने जैसे सतत प्रयास करते हुए आने वाली पीढ़ी के लिए जल बचाने में सभी अपनी जिम्मेदारी निभाएं। जलदाय एवं भूजल विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधांश पंत ने कहा कि प्रदेश के 16 प्रतिशत ब्लॉक ही भूजल की दृष्टि से सुरक्षित है। बीस साल पहले हमारे यहां जितना भूजल रिचार्ज होता था, उससे कम उपभोग होता था, मगर अब रिचार्ज की तुलना में डेढ़ गुना दोहन हो रहा है। इस स्थिति में बदलाव के लिए 17 जिलों की 1144 ग्राम पंचायतों में अटल भूजल योजना के तहत जल स्तर में सुधार के लिए गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है। कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में जलदाय एवं भूजल मंत्री डॉ. जोशी एवं जलदाय एवं भूजल राज्य मंत्री अर्जुन सिंह बामनिया ने भूजल विभाग के सेवानिवृत मुख्य अभियंता सत्येन्द्र मोहन कंवर द्वारा लिखित भूजल संरक्षण से सम्बंधित पुस्तक का भी विमोचन किया। भूजल विभाग के मुख्य अभियंता सूरजभान सिंह ने स्वागत उद्बोधन में अटल भूजल योजना के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। जलदाय विभाग के संयुक्त शासन सचिव प्रताप सिंह ने सभी का आभार जताया। कार्यशाला में 17 जिलों से भूजल विभाग के तहत अटल भूजल योजना की जिला प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट के नोडल अधिकारी एवं सहभागी विभागों के नोडल अधिकारियों के अलावा राज्य स्तरीय प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट एवं राज्य स्तर से सहयोगी विभागों के अधिकारी शिरकत कर रहे हैं। इनको दिल्ली से आए विषय विशेषज्ञों द्वारा अलग-अलग सत्रों में योजना के तकनीकी पहलुओं के बारे में जानकारी दी जा रही है।
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