जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
दौसा के लालसोट में निजी क्लीनिक मे एक प्रस्तुता की मौत हो जाने के बाद परिजनों और लोगों द्वारा किए गए हंगामा और पुलिस द्वारा डॉ अर्चना शर्मा पर धारा 302 लगाने के बाद डिप्रेशन में आई डॉ अर्चना शर्मा द्वारा आत्महत्या करने के बाद बुधवार को राजस्थान भर मे घटना को लेकर दुखद जाहिर किया गया। घटना को लेकर सूबे के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित भाजपा पार्टी और विप्र फाउंडेशन, ब्राह्मण समाज के संगठनों ने पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर नाराजगी जाहिर करते हुए घटना को लेकर दुख जाहिर किया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट कर कहा कि दौसा जिले के लालसोट में डॉ. अर्चना शर्मा की आत्महत्या की घटना बेहद दुखद है। हम सभी डॉक्टरों को भगवान का दर्जा देते हैं। हर डॉक्टर मरीज की जान बचाने के लिए अपना पूरा प्रयास करता है। परन्तु कोई भी दुर्भाग्यपूर्ण घटना होते ही डॉक्टर पर आरोप लगाना न्यायोचित नहीं है। अगर इस तरह डॉक्टरों को डराया जाएगा तो वे निश्चिन्त होकर अपना काम कैसे कर पाएंगे। हम सभी को सोचना चाहिए है कि कोविड महामारी या अन्य दूसरी बीमारियों के समय अपनी जान का खतरा मोल लेकर सभी के सेवा करने वाले डॉक्टरों से ऐसा बर्ताव कैसे किया जा सकता है। इस पूरे मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है एवं दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।

करौली में चिकित्सक बोले डॉक्टर अर्चना को नहीं मिला न्याय तो करेगें आंदोलन।
अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ करौली में बुधवार को मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर राजेंद्र सिंह शेखावत को ज्ञापन सौंपकर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की। साथ ही करौली जिला चिकित्सालय में दो घंटे कार्य बहिष्कार किया गया। कार्य बहिष्कार कर आरोपियों के खिलाफ विरोध प्रकट किया गया। डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन में डॉक्टरों के हित में कानून बनाने की मांग की। ओर उन्होंने बताया कि लालसोट दौसा में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अर्चना शर्मा को आत्महत्या के लिए विवश करने वाले पुलिस एवं प्रशासन अन्य जो प्रकरण में शामिल थे। उनके विरुद्ध कठोर से कठोर कार्रवाई करने को लेकर ज्ञापन सौंपा गया। चिकित्सक संघ संरक्षक डॉ दिनेश मीणा, डॉक्टर नमो नारायण मीणा, डॉक्टर पूरणमल वर्मा, अध्यक्ष डॉक्टर बाबूलाल मीणा, महासचिव डॉ आशीष शर्मा, प्रांतीय प्रतिनिधि डॉ चंद्रशेखर डागुर, कोषाध्यक्ष डॉ सी एल मीणा, जिला प्रवक्ता डॉ सुनील गुप्ता, जिला संयोजक डॉ कमल लाल मीणा ने बताया कि चिकित्सक द्वारा रोगी का ऑपरेशन किया गया था। लेकिन जटिलताओं के कारण अत्यधिक रक्त स्त्राव हो जाने के कारण प्रसूता की मौत हो गई जो कि एक दुख भरा पहलू था। लेकिन हर पेशे में कुछ ना कुछ परेशानियां होती हैं। कोई भी चिकित्सक अपने रोगी को मारना नहीं चाहता है। वह अपने विवेक के अनुसार अच्छे से अच्छे कार्य उपचार करने की कोशिश करता है। लेकिन स्थानीय राजनीति के दबाव में पुलिस प्रशासन अधिकारियों द्वारा चिकित्सक के विरुद्ध बिना किसी पूर्व जांच के भारतीय दंड संहिता की धारा 302 में मुकदमा दर्ज कर लिया गया। जिसके कारण चिकित्सक मानसिक रूप से अत्यधिक प्रताड़ित होने के कारण आत्महत्या करने पर मजबूर हो गई। प्रकरण में राज्य का समस्त चिकित्सक समुदाय आहत है। हम सभी इस कृत्य की घोर निंदा करते हैं। इस प्रकार का कृत्य सभ्य समाज के लिए कलंक है। चिकित्सक संघ ने दोषियों के विरुद कठोर से कठोर कार्रवाई की जाए जिससे भविष्य में इस प्रकार की कोई पुनरावृति नहीं हो। इस दौरान डॉक्टर गोविंद गुप्ता, डॉ अमर सिंह, डॉक्टर बी.एल मीणा, डॉ ऋषि राज शर्मा, डॉक्टर लक्ष्मीकांत मीणा, डॉ सुशील मीणा, डॉ कैलाश चंद्र मीणा, डॉक्टर डीएन शर्मा, सहित अन्य चिकित्सक मौजूद रहे।