जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
राजधानी जयपुर के करतारपुरा स्थिQ स्कूल से एडवोकेट अवधेश कुमार की लापता हुई दो सगी बेटियां बुधवार को लखनऊ में एक कंपनी के लिए मार्केटिंग का काम कर रही थीं।बच्चियों से पूछताछ में सामने आया है कि सक्सेसफुल बिजनेसपर्सन बनने के लिए उन्होंने घर छोड़ा था। इन बच्चियों की तलाश न करने का आरोप लगाते हुए वकीलों ने 21 मार्च को हाईकोर्ट के सामने और कलेक्ट्रेट सर्किल पर प्रदर्शन किया था। जिसके बाद डीजे एम एल लाठर ने बच्चियों को ढूंढने के लिए पुलिस टीमों का गठन किया था।
यह था पूरा मामला।
दरअसल 3 फरवरी को पिता ने दोनों बच्चियों को स्कूल छोड़ा था। जहां से बीमार होने का बहाना करके दोनों स्कूल से निकलीं और मोबाइल स्विच ऑफ कर ट्रेन से लखनऊ पहुंच गईं। जयपुर से उन्हें कहां जाना है, यह तय करने के लिए बच्चियों ने तमिलनाडु, मुंबई और लखनऊ की पर्ची डाली थी। लखनऊ की पर्ची निकलने पर वहां के लिए रवाना हो गईं। ट्रेन से बिना टिकट लखनऊ पहुंचीं। 4 दिन पीजी में रहीं, फिर जॉब ढूंढा और कंपनी के फ्लैट में रहने लगीं। दोनों ने लखनऊ में ऑटो वाले के मोबाइल से जयपुर में रह रही अपनी टीचर को फोन किया और दादी की बीमारी के बारे में बताकर 30 हजार रुपए मांगे। जब ट्रेस होने की भनक लगी तो मोबाइल फेंक दिया। ऑटो वाले का नंबर ट्रेस होने के बाद पुलिस लखनऊ पहुंच गई। लखनऊ स्टेशन के पास उनके ऑटो में बैठने और एक पीजी में जाने की फुटेज मिलीं। 21 मार्च को गुडंबा इलाके में सीसीटीवी फुटेज आया, इसमें बच्ची एक पेस्ट कंट्रोल प्रोडक्ट की मार्केटिंग करती दिखीं। बच्चियों की तलाश के लिए एडिशनल कमिश्नर अजयपाल लांबा के पेज पर अपील पोस्ट की गई। इस पर वॉट्सऐप नंबर पर क्लिक करते ही बच्चियों की फोटो और जानकारी यूजर के नंबर पर ऑटोमैटिक चली जाती थी। डीसीपी साउथ मृदुल कच्छावा ने बताया कि सर्च ऑपरेशन में जयपुर और लखनऊ के 200 पुलिसकर्मी 72 घंटे तक लगे रहे। मार्केटिंग कंपनी का ऑफिस तलाश कर बच्चियों को ढूंढ निकाला। दोनों कंपनी के फ्लैट में ही रह रही थीं।बच्चियां सितम्बर से घर से जाने की तैयारी कर रही थीं। नवंबर में एक बार घर से स्टेशन पहुंच भी गईं, लेकिन मुंबई का टिकट नहीं मिला तो लौट आई। बच्चियों की 6 माह पुरानी इंटरनेट सर्च हिस्ट्री खंगाली। इस दौरान कई चौंकाने वाले खुलासे हुए। बच्चियों ने बताया कि वह सफल बिजनेस पर्सन बनना चाहती थीं। वह करीब 6 महीने से ऑनलाइन आर्टिकल पढ़ रही थीं। इस बीच उन्होंने फैशन से संबंधित आइडिया का प्रजेंटेशन आईआईटी मुंबई की एंटरप्रेन्योरशिप सेल को भेजा था। इस तरह की बातें भी उनकी नोटबुक में भी मिली हैं। दोनों 23 नवंबर को घर से निकलकर रेलवे स्टेशन पहुंच गई थी, लेकिन मुंबई की टिकट नहीं मिलने के कारण घर लौट आई थीं। अनजान शहर में बिना पैसे और मोबाइल के कैसे रहें ? कहां सेफ रह सकते हैं? कहां खाना मिलेगा? जरूरत पड़ने पर किन लोगों से मदद मांगी जा सकती है ? बच्चियों ने मनीटेमर और यू-ट्यूब से इन सवालों के जवाब ढूंढे थे। लखनऊ पहुंचने के बाद वह पीजी छोड़कर स्टेप बाय स्टेप चल रही थीं। दोनों ने पहचान बदलने के लिए आधार कार्ड नंबर में भी बदलाव की कोशिश की। मेक माय ट्रिप पर अकाउंट बनाकर ट्रेन सर्च की। जाने से पहले इंटरनेट सर्च हिस्ट्री डिलीट करने की के लिए भी वीडियो से जानकारी सर्च की। इंस्टाग्राम, एफबी व अन्य प्लेटफॉर्म पर अलग-अलग लड़कियों के नाम से अकाउंट बना रखे थे। इधर पुलिस ने बच्चियों को ढूंढने के बाद आज कोर्ट में पेश किया जहां पर कोर्ट ने सुनवाई के बाद बच्चियों को अपने परिजनों को सपोर्ट करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने बच्चियों के बयान लेने के बाद अभिभावक को यह भी आदेश दिए हैं कि बच्चियों को आत्मनिर्भर बनने के लिए वह सहयोग करेंगे।
0 टिप्पणियाँ