चित्तौड़गढ़-गोपाल चतुर्वेदी।
पूरे देश में होली का त्योहार होली के दहन के दूसरे दिन मनाया जाता है। लेकिन चित्तौड़गढ़ में होली का उत्सव होली का दहन से लेकर पूरे 13 दिन तक चलता है तो रंग तेरस पर जा कर पूरा होता है। जहाँ ग्रामीण क्षेत्रों में  रंग पंचमी सप्तमी और अष्टमी को होली खेली जाती है, वही मुख्यालय पर पूरे हर्षोल्लास से रंग तेरस के दिन होली का त्यौहार मनाया जाता है। पुराने शहरी क्षेत्र मे स्थित शहर के सबसे बड़े लक्ष्मीनाथ मंदिर मे फूलों की होली की शुरुआत होती है और उसके बाद शहर में महिलाओ और पुरुषो की टोलिया निकलती है जो एक दूसरे को रंग लगाकर होली का आनंद लेते हैं। जिले मे सबसे बड़े रंग पर्व को लेकर मुख्यालय सहित कुछ क्षेत्रों में जिला कलेक्टर द्वारा अधिकृत अवकाश भी घोषित किया जाता है जिससे कि लोग अधिक संख्या में इस रंग पर्व का आनंद ले सकें। 
वहीं कोरोना के 2 साल बीतने के बाद इस बार प्रतिबंध कम होने के कारण हर्ष और उल्लास से होली खेली गई। लोगों ने एक दूसरे को रंग लगाकर होली की बधाईया दी, रंग तेरस के अवसर पर महिला, पुरुष और बच्चों में होली का उत्साह देखने को मिला। रंग तेरस खेलने को लेकर मान्यता यह भी है कि पूर्व में राजघरानों के शासन के दौरान होली पर शोक हो जाने के कारण रंग तेरस के पर्व पर होली खेली जाती है। यह भी माना जाता है कि मेवाड़ का जोहर द्वादशी के दिन हुआ था और उस को बनाए रखने के लिए जहां वीरांगनाओं ने स्वतंत्रता की रक्षा के लिए खून की होली खेली थी उसमें बनाए रखने के लिए रंग तेरस पर होली खेली जाती है।