जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
जयपुर ग्रेटर नगर निगम की भाजपा बोर्ड में भी बगावत की चिंगारी सुलग रही है। बीते दिन झोटवाड़ा जोन के पार्षदों की बैठक में कार्यवाहक मेयर शील धाभाई के रवैए पर सवाल उठाते हुए, भाजपा के पार्षद मुख्यालय में ही धरने पर जा बैठे। मामला संगठन स्तर पर पहुंचा तो वहां से दबाव आने पर मेयर समेत अन्य दूसरे पार्षद समझाइश करने पहुंचे तब जाकर पार्षद धरने से उठे। पार्षदों ने आरोप लगाया कि बीते 1 साल में उनके क्षेत्र में ना तो सीवर का काम हुआ, ना सड़क का। यहां तक की निगम का प्राथमिक कार्य सफाई भी नहीं हो पा रही है। इस संबंध में मेयर को शिकायत दर्ज कराने पर वो पार्षदों पर ही झुंझला गई। ग्रेटर नगर निगम में महापौर जोन वाइज पार्षदों को बुलाकर क्षेत्रीय समस्याओं पर मंथन कर राउंड टेबल की तर्ज पर समाधान कर रही हैं। इस क्रम में सोमवार को झोटवाड़ा जोन के पार्षदों को बुलाया गया, लेकिन ये मीटिंग हंगामे की भेंट चढ़ गई। बैठक में वार्ड 44 की पार्षद सुशीला बारी के साथ बदसलूकी का आरोप लगाते हुए पार्षदों ने मेयर के खिलाफ मोर्चा खोला। उन्होंने मुख्यालय पर ही धरना दिया।ग्रेटर निगम में ही होर्डिंग शाखा के चेयरमैन प्रवीण यादव ने कहा कि दूसरे जोन की तर्ज पर झोटवाड़ा जोन के सभी पार्षदों से महापौर एक साथ मिलने को तैयार नहीं। उन्होंने आरोप लगाया कि एक पार्षद से बातचीत करते हुए महापौर ने झुंझलाते हुए फाइल तक पटक दी। अधिकारियों के सामने पार्टी के ही पार्षद को बेइज्जत करना न्याय संगत नहीं है। वहीं चेयरमैन सुखप्रीत बंसल ने कहा कि निगम में अव्यवस्थाएं चल रही हैं, जिससे परेशान होकर पार्षदों को मजबूरन धरने पर बैठना पड़ा।

मेयर बोली आरोप निराधार।
महापौर ने कहा कि अब तक 4 जोन की मीटिंग हो चुकी है। अभी भी झोटवाड़ा जोन के 13 पार्षदों से उनकी समस्याएं सुनी हैं। लेकिन चार-पांच पार्षदों के लिए वो कुछ कहना नहीं चाहती। कोरोना की गाइडलाइन के तहत पांच-पांच पार्षदों से सुनवाई की जा रही है। लेकिन ये सभी पार्षद एक साथ आना चाहते हैं, जो संभव नहीं है। वहीं पार्षद के साथ किए गए दुर्व्यवहार पर महापौर ने कहा कि पूरा स्टाफ यहीं बैठा है, किसी से भी पूछ सकते हैं। यदि पार्षदों ने ऐसा कहा तो ये झूठ की पराकाष्ठा है। जहां तक 50 लाख के विकास कार्यों का सवाल है, तो वर्क आर्डर हो चुके हैं। अभी मौसम की वजह से काम अटका हुआ है।सड़कें डालने का काम एक प्रोसेस के जरिए होता है, इसमें ना निगम का स्टाफ कुछ कर सकता है ना मेयर। बीजेपी पार्षदों के इस धरने से पहले भी कई बार पार्षदों ने मेयर की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए मुख्यालय परिसर में ही धरना दिया है। हालांकि इस बार समझाइश के लिए संगठनात्मक स्तर के पदाधिकारियों को भी यहां पहुंचना पड़ा है। इससे स्पष्ट है कि कार्यवाहक महापौर की कार्यशैली को लेकर उठाए जाने वाले सवाल बीजेपी आलाकमान तक भी जा पहुंचे हैं।