जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
बरसों से ढो रहे प्रशासनिक व्यवस्थाओं की त्रासदी में एक आम आदमी किस तरह से पिस रहा है। इस पर करारा व्यंग रंग चौबारा में मंचित नाटक "जामुन के पेड़ "में देखने को मिला। मशहूर कहानीकार जनाब कृष्ण चंद्र की कालजयी कहानी "जामुन का पेड़" का नाट्य रूपांतरण नीरज गोस्वामी ने किया। नाटक में दिखाया गया कि जामुन के पेड़ के तले दबे एक आदमी को निकालने के लिए कितनी प्रशासनिक बाधाएं पैदा हो रही है और यही हमारी सरकारी प्रशासनिक तंत्र की त्रासदी भी है।
जिसे आज भी एक सामान्य नागरिक भोग रहा है। नाटक में सरकारी मशीनरी के क्रियाकलापों गहरी चोट की गई। नाटक का निर्देशन गुरमिंदर सिंह पुरी रोमी ने किया। वहीं जयपुर रंगमंच के वरिष्ठ रंगकर्मी नीरज गोस्वामी, ईश्वर दत्त माथुर, राजेंद्र शर्मा राजू ,मोइनुद्दीन खान ,दीपक कथूरिया तथा आर्यन कटियाल के अलावा वरिष्ठ शायर लोकेश कुमार सिंह साहिल ने अपने किरदारों को बहुत ही रोचक ढंग से निभाया। प्रकाश व्यवस्था अनिल मारवाड़ी ने संभाली और मंच व्यवस्था राजेंद्र शर्मा राजू और मनोज स्वामी की थी।
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