जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
राजस्थान प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी के नए मुखिया फिर से मुख्य सचिव निरंजन आर्य ही रह सकते हैं। आर्य को 6 माह का वापिस से एक्टेंशन मिल जाए इसके लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार ने सिफ़ारिश के लिए उनकी फाइल को दिल्ली भेजा है। हालांकि तय करना अब केंद्र सरकार का काम है कि निरंजन आर्य को एक्टेंशन दिया जाए या नहीं। जानकार सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री कार्यालय ने सीएस निरंजन आर्य की एक्सटेंशन फाइल दिल्ली भेज दी है। सरकार की मंशा है कि तीन-तीन महीने के एक्सटेंशन के साथ अगले 6 महीने के लिए निरंजन आर्य को ही मुख्य सचिव रखा जाए। हालांकी अंदरखाने खबर ये भी है कि गांधी परिवार की नजदीकी के कारण नीलकमल दरबारी का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है।
 दरअसल राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी में इन दिनों प्रदेश के नए ब्यूरोक्रेसी के मुखिया को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं। मौजूदा मुख्य सचिव निरंजन आर्य इसी महीने की 31 जनवरी को रिटायर हो रहे हैं। ऐसे में सबकी निगाहें इसी बात पर है कि चुनावी माहौल में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत किस अधिकारी पर अपना भरोसा जताते हैं। इसमें पहले दिल्ली डेपुटेशन पर लगी उषा शर्मा और माइन्स का जिम्मा संभाल रहे एसीएस सुबोध अग्रवाल को लेकर चर्चाएं जोरों पर थी।
 उषा शर्मा को लेकर यह कहा जा रहा है था कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता की करीबी रिश्तेदार होने और महिला को मुख्य सचिव बनाकर सीएम गहलोत दिल्ली आलाकमान को भी एक मैसेज दे सकते हैं। वहीं बार-बार सीएस नहीं बदलना पड़े इस लिहाज से सुबोध अग्रवाल भी मजबूत दावेदार माने जा रहे थे। लेकिन पिछले कुछ दिनों में बदले समीकरण के बाद यह जानकारी मिल रही है कि मौजूदा मुख्य सचिव को ही सरकार अगले 6 महीने के लिए एक्सटेंशन देने के पक्ष में है। सूत्रों की मानें तो इसको लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय से दिल्ली केंद्र सरकार के पास एक्सटेंशन की फाइल भेजी जा चुकी है। जिसमें तीन-तीन महीने के एक्सटेंशन की बात कही जा रही है। उधर 26 जनवरी को अनौपचारिक बातचीत में मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने एक्सटेंशन की बात को लेकर इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा था कि उन्हें किसी तरह का कोई एक्सटेंशन नहीं मिलने जा रहा है। लेकिन सचिवालय गलियारों में जिस तरह से चर्चाएं हो रही हैं और सूत्रों से जो जानकारी मिल रही है उसने यह माना जा रहा है कि सरकार मुख्य सचिव को बदलने के पक्ष में नहीं है।निरंजन आर्य के एक्सटेंशन की कवायद शुरू करने के पीछे वजह यह भी है कि आर्य को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का बेहद करीबी माना जाता है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि निरंजन आर्य को जब मुख्य सचिव बनाया गया था उस वक्त करीब 10 सीनियर आईएएस अधिकारियों को नजरअंदाज करके आर्य को मुख्य सचिव बनाया गया था। हालांकि, सरकार के इस फैसले से ब्यूरोक्रेसी के कई अधिकारी नाराज भी हुए थे और कुछ अधिकारी दिल्ली डेपुटेशन पर चले गए थे। इतना ही नहीं ब्यूरोक्रेसी की नाराजगी का सामना करने के बाद भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सीएस निरंजन आर्य की पत्नी को भी आरपीएससी का मेंबर बनाया था।