(1)
कृषि-प्रधान यह देश था ,
अब है झूठ-प्रधान ।
कुर्सी के इस झूठ पर ,
कितना विवश किसान ।।
(2)
जिन पर थोड़ी जोत है ,
वे हैं बस मज़दूर ।
बड़ी जोत वाले हुए ,
धन-वैभव में चूर ।।
(3)
बड़ी खेतियों पर लगे ,
अब तो इन्कम-टैक्स ।
और बन्द हो सब्सिडी ,
जो इनको है स्नैक्स ।।
(4)
अधिक उपज के लोभ में ,
हुआ देश बीमार ।
और अन्नदाता करे ,
अपनी जय जयकार ।।
(5)
राजनीति ने कर दिया ,
बहुत बड़ा नुकसान ।
जाति-धर्म में फँस गया ,
सीधा-सरल किसान ।।
©️✍️ लोकेश कुमार सिंह 'साहिल'
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