जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश में दुर्लभ बीमारियोें से पीड़ित मरीजों के मामले में राज्य सरकार से पूछा है कि इन मरीजों के इलाज के लिए उसकी क्या पॉलिसी व कार्ययोजना है। वहीं राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि याचिका में उल्लेखित बच्चों की बीमारी का उचित इलाज करवाए और जो दवाइयां चाहिए उन्हें बाहर से भी मंगवाया जाए। सरकार ये भी सुनिश्चित करे कि बच्चे उचित इलाज के अभाव मेें बीमारी के शिकार नहीं हों। साथ ही अदालत ने मामले की सुनवाई 26 नवंबर को तय की है। जस्टिस एमएम श्रीवास्तव व फरजंद अली की खंडपीठ ने यह निर्देश गौचर बीमारी से पीड़ित बच्चो के मामले में जमील की याचिका पर दिया। अदालत ने केन्द्र सरकार को भी यह बताने के लिए कहा है कि क्या जोधपुर के एम्स में ऐसी दुर्लभ बीमारियों के लिए बुनियादी ढांचा व उचित इलाज की सुविधा मुहैया कराई जा सकती है। जिस पर एएसजी आरडी रस्तोगी ने कहा कि उन्हें इस संबंध में केन्द्र सरकार से विचार-विमर्श के लिए कुछ समय दिया जाए। सुनवाई के दौरान प्रार्थी पक्ष की ओर से अधिवक्ता रवि चिरानिया ने कहा कि इन बीमारियों का इलाज बहुत महंगा है। ना केवल दवाइयां महंगी है बल्कि उनकी उपलब्धता भी नहीं होती, ऐसे में इन बीमारियाें की दवाओं को बाहरी देशों से आयात करने की जरूरत है। जिस पर राज्य सरकार ने कहा कि जयपुर के जेके लॉन अस्पताल में दुर्लभ बीमारियों का इलाज मौजूदा संसाधनाें के जरिए किया जा रहा है। जिस पर अदालत ने कहा कि महंगी दवाओं की खरीद एक अन्य मुद्दा है लेकिन जो बीमार बच्चे हैं उनका उचित इलाज किया जाए। वहीं एएसजी ने कहा कि केन्द्र सरकार ने देशभर में दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए आठ एक्सीलेंस सेंटर हैं। अदालत ने सभी पक्षों को सुनकर राज्य सरकार को याचिका में उल्लेखित दुर्लभ बीमारी से पीड़ित बच्चों को इलाज करवाने का निर्देश दिया और पूछा कि दुर्लभ बीमारियों के लिए इलाज के लिए उसकी क्या पॉलिसी है।
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