तुम हो
बहती है नदी
तुम हो
सरसब्ज़ है फ़ज़ा
तुम हो
गन्धित हैं
अमराइयाँ
तुम हो
चहक रहे हैं पंछी
तुम हो
महक रहा है मोगरा
तुम हो
रँभाती है कमला
तुम हो
गाती है सोनचिड़ी
तुम हो
खेलते हैं ग़ज़ाल
तुम हो
हरी है हवा
तुम हो
चिकनी है रेत
तुम हो
तो ये सबकुछ है
क्यों करना चाहते हो
मुझे फिर से
रेगिस्तान !
©️✍️ लोकेश कुमार सिंह 'साहिल'
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