प्रदेश में सरकारी कामकाज के लिए दफ्तरों मे आम जनता के चक्कर कम करने और उन्हें अपने निवास के पास से ही जरूरी काम के लिए सुविधा मुहैया कराने के लिहाज से स्थापित किए गए ई मित्र केंद्रों पर सवाल उठने लगे हैं। ज्यादातर ई मित्र केंद्र संचालकों पर आम जनता से निर्धारित शुल्क के बजाय तिगुना और चौगुना शुल्क तक वसूलने की शिकायतें सामने आ रही है। 


अगर हम बात मूल निवास प्रमाण पत्र बनवाने की ही करें तो सरकार की ओर से मूल निवास प्रमाण पत्र बनवाने का शुल्क ₹50 निर्धारित है। वही कई ई-मित्र केंद्र संचालक इसके लिए डेढ़ सौ से ढाई सौ रुपये तक मांग रहे हैं। जब उन्हें बताया जाता है कि सरकार की ओर से तो निर्धारित ₹50 ही है, तो जवाब मिलता है तो आप सरकार से ही बनवा लो, यहां तो इतने ही देने पड़ेंगे। 



ऐसा नहीं है कि जिला कलेक्ट्रेट तक इनकी शिकायतें नहीं पहुंचती, शिकायतें पहुंचती भी है और जिला प्रशासन की टीमें समय-समय पर इनका निरीक्षण भी करती है, लेकिन इसके बावजूद इनकी मनमानी नहीं रुक रही। हाल ही में राजधानी के 15 ई-मित्र संचालकों पर ₹5000 जुर्माना लगाने के साथ ही उन्हें 15 दिन के लिए निलंबित भी किया गया था लेकिन निलंबन अवधि बीतते ही ये वापस अपने पुराने ढर्रे पर आ जाते हैं। आपको बता दें कि प्रदेश में इस समय लगभग 80,000 ई मित्र केंद्र संचालित है जिनमें से राजधानी जयपुर में ही 11,000 ई-मित्र केंद्र स्थापित हैं।


ब्यूरो रिपोर्ट