प्रधान संपादक प्रवीण दत्ता की कलम से। 

पिक्चर अभी बाकी मेरे दोस्त।   

प्रधान संपादक प्रवीण दत्ता की कलम से। 

भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष कैलाश मेघवाल की पिटाई ने आपके कान खड़े किए हों या ना किए हों पर प्रदेश भाजपा के नेताओं के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं।  भई राजस्थान है।  जाने अब कौन पिट जाए ? हरियाणा और पंजाब में तो भाजपाई नेताओं ने इसी पिटने के खौफ से कार्यक्रम या तो बंद कर दिए हैं और या फिर चुपचाप बंद दरवाजों के पीछे ही कर लेते हैं।  मीडिया है ही साथ।  वो सात तहखानों के नीचे हुई बैठक की तस्वीर शाया कर देता है।  जिला अध्यक्ष प्रदेश अध्यक्ष को और प्रदेश अध्यक्ष राष्ट्रीय अध्यक्ष को यही तस्वीरें भेज कर इति श्री कर लेते हैं। ऐसा नहीं कि ये लोग जमीन से जुड़े नेता ना हों पर क्या करें पार्टी के किसान विरोधी स्टैंड और मोदी-शाह के निजाम ने दुर्गत कर दी है।  सो अब अगर भाजपा में रहना है तो पिटे या बिन पिटे हाँ जी हाँ जी कहना है। 

मैं यह स्पष्ट कर दूँ किव्यक्तिगत रूप से मैं इस पिटाई संस्कृति के खिलाफ हूँ।  अच्छा ना लगे वोट मत दो पर मारना, पीटना, कपडे फाड़ना। ... यह सब किसी भी दृष्टि से उचित नहीं हैं।  पर जाने लोगों ने किसानों पर भरी सर्दी में वॉटर कैनन चलती देखी हो, बुजुर्ग किसानों को पुलिस की लाठी खाते देखा हो..... उनको कोई कैसे और क्या समझाए?

हाँ, समझ है तो भाजपा के बड़े नेताओं में है।  हरियाणा में चलो भाजपा सत्ता में है इसीलिए छुट भैय्ये नेता ही पिटे।  पंजाब में तो जो भाजपाई विधायक भी हत्थे चढ़ा वही पिटा।  इसीलिए राजस्थान में ज्यादा खौफ है।  इधर 'गांधीवादी' गहलोत का नेतृत्व, उधर हनुमान बेनीवाल की अकुलाहट।  पता नहीं कब खेल हो जाए ?

आप मेरी बात लिख के रख लो।  भाई राजेंद्र तो कल सुबह तक सदमें में रहेंगे।  पूनिया जी को फोन करके बता भी दिया है ' अध्यक्ष जी थे बड़ी मीटिंगा करो हो शेखावाटी मै।  बस बठे तक ही रहयो।  आगे गड़बड़ है। '  जाट का बेटा तो खाटू श्याम जी भी 50 के साथ जावे।  

बहरहाल।  आज का दिन बुरा दिन रहा, इस लिहाज से कि हमारा प्रदेश भी मार-पिटाई की संस्कृतु अपनाने लगा है।  भाजपा वाले तो अपने दो नेताओं के डर से समझ कर भी क्या समझेंगे ? लेकिन इस प्रदेश की संस्कृति यह नहीं है।      

लेकिन यह भी समझने की बात है कि खुद की पार्टी की केंद्र सरकार का किया भुगत रहे भाजपा नेता उसी स्थानीय पुलिस पर ऊँगली उठा रहे हैं जिसने उनको  बचाया। हरियाणा-पंजाब में तो भाजपा  भागकर दुकानों -मकानों में छिपकर इज्जत बचानी पड़ी थी।  यहाँ कम से कम राजस्थान पुलिस समय से आपकी इज्जत तो बचा रही है।  मत भूलिए कि अगर कांग्रेस में इतना दम होता तो देश भर में उसके उसके ऐसे हालात न होते।  मतलब साफ़ है।  मोदी जी ने पंगा किसानों से लिया है।  अब या तो समझाओ नहीं तो समझ जाओ।     

 आप इसक घटना का वीडियो देखना चाहतें हैं तो कृपया हमारे यू ट्यूब चैनल पर जाएं।