प्रधान संपादक प्रवीण दत्ता की कलम से। 


ढाई दिनों तक चली प्रदेश कांग्रेस की रायशुमारी यूँ तो सीएम आवास पर सभी के लिए दोपहर के पर समाप्त हुई पर असल अमृत भोज से पहले हुई पत्रकार वार्ता में निकला। राजस्थान में विधायकों से रायशुमारी के बाद तीसरे दिन मिडिया से बात करते हुए अजय माकन ने बड़ा बयान दे दिया। माकन ने कहा कि मैं ही दिल्ली हूं, माकन के इस बयान के कई महत्वपूर्ण राजनितिक मायने हैं। 

सबसे पहला तो दिल्ली में बैठे सचिन पायलट और जयपुर में मुखर हो रहे उनके समर्थकों के लिए।  माकन ने बिना कहे यह जाता दिया कि अब दिल्ली से कोई दबाव काम नहीं करेगा, जो बतौर प्रदेश प्रभारी वे तय करवाएंगे वही अंतिम निर्णय होगा।  तो क्या गहलोत ने फिर अपना जादू चला दिया ? नहीं पूरी तरह नहीं।   दरअसल माकन दिल्ली से राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी वाड्रा से यह मेंडेट लेकर आए थे कि पायलट से वापसी के समय जो भी वादे किए गए थे वे पूरे किए जायेंगे बस इसके आगे कुछ नहीं।  

मीडिया से वार्ता करते हुए अजय माकन ने कहा कि राजस्थान के कई मंत्री खुद चाहते हैं कि उन्हें संगठन को मजबूती करने का काम सौंपा जाए। माकन के इस इशारे से साफ है कि अब कई मंत्रियो को उनके पदों से हटाकर उनको संगठन मे जगह दी जायेगी। अब यह बात सभी जानते हैं कि कौन सा ऐसा कांग्रेसी मंत्री है जो मंत्री पद छोड़कर संगठन तक सिमित रहना चाहेगा।  डोटासरा को इसका अपवाद माना जा सकता है क्योंकि उन पर एक व्यक्ति, एक पद सिद्धांत का भी दबाव है।  बाकि मंत्रियों को इशारा दे दिया गया है कि जिनका रिपोर्ट कार्ड कमजोर है वे अगर प्रासंगिक रहना छाते हैं तो संगठन में चले जाएँ अन्यथा खट्टी छाछ से भी जायेंगे। अब इसे महज संयोग नहीं माना जा सकता कि प्रदेश प्रभारी अजय माकन के 2 दिन विधायकों से बातचीत का ब्यौरा इतनी आसानी से मीडिया में आ गया। यह है असल जादूगरी। कहने को और 'फेस सेविंग' फार्मूले के तहत अजय माकन ने कहा कि मुझे इस बात की खुशी है कि व्यक्तिगत तौर पर कई विधायकों ने अपने लिए मंत्रियों की मांग की है। लेकिन इससे भी बेहतर बात यह है कि कई मंत्री ऐसे हैं जो खुद आगे होकर यह बात कह रहे हैं कि अगर संगठन को मजबूती दी जानी है तो वे मंत्री पद छोड़कर संगठन में काम करने को तैयार हैं। माकन ने कहा कि मंत्रियों ने खुद उनका उदाहरण दिया कि मैंने भी भारत सरकार में मंत्री पद छोड़कर संगठन का काम संभाला था। ऐसे में कई मंत्री राजस्थान के ऐसे हैं जो मंत्री पद छोड़कर संगठन का काम करना चाहते हैं। माकन ने कहा कि ऐसे लोगों के साथ मिलकर ही 2023 में कांग्रेस दोबारा सरकार बनाएगी। 


आज हुई पीसीसी की बैठक के दौरान पीसीसी के उपाध्यक्ष रामलाल जाट ने एक विधायक के साथ एक निंदा प्रस्ताव रखा।जिसमें भाजपा व आरएसएस  के नेताओ के खिलाफ भाजपा झूठे आरोप लगाकर एक स्वतंत्र संस्था की प्रकिया को लेकर प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा पर लग रहे झूठे आरोपो की निंदा की गई ओर आरएसएस के प्रचारक निम्बाराम को गिरफ्तार करने की माग की गई। सभी पदाधिकारियों ने एक मत से निंदा प्रस्ताव पारित कर उपाध्यक्ष की इस बात का समर्थन किया। अब इसकी क्रोनोलॉजी समझिये - डोटासरा वो अकेले व्यक्ति थे जो निम्बाराम की गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे यानि RSS के खिलाफ  खुला स्टैंड लेने वाले इकलौते नेता थे। बहुतों ने इसे महज राजनितिक लफ्फाजी माना लेकिन यह स्टैंड डोटासरा का टर्म इंश्योरेंस था।  कांग्रेस में अखिल भारतीय स्तर पर राहुल गाँधी की RSS की मुखालफत जग जाहिर है. राज्य स्तर पर डोटासरा पहले ऐसे नेता रहे।  लोगों ने ध्यान नहीं दिया डोटासरा के राजस्थान में निम्बाराम पर दिए बयान के अगले ही रोज AICC प्रवक्ता ने उनकी बात को दोहराया था।  यानि अब चाहे जो हो जाए गोविंद सिंह डोटासरा रहेंगे प्रासंगिक ही।    

अब करोड़ों रुपये का सवाल।  क्या वाकई अब माकन ही दिल्ली हैं ? माने जो वो तय कर देंगे बस अब वही होगा ? अजय माकन एक अनुभवी और पुराने खांटी कांग्रेसी हैं , वे हवाई जुमले छोड़ने के लिए कभी नहीं जाने गए।  मतलब? 

माकन ने अब तक की सारी रिपोर्ट केसी वेणुगोपाल को दे दी है और उन्हौने भी इस पर सहमति जता दी है। अब यह बात किसी से छुपी नहीं है कि AICC महासचिव वेणुगोपाल ने यह सहमति राहुल गाँधी से बात करके ही दी होगी।  यानि 'मैं दिल्ली हूँ ' वाले जुमले में दम है।  

अब अरबों रुपये का सवाल। क्या सचिन पायलट सीएम बनाये जा रहे हैं।  जवाब - नहीं।  सीएम तो अशोक गहलोत ही रहेंगे, हाँ अब सत्ता और संगठन में सेकण्ड लाइन दिखाई देगी ताकि राहुल गाँधी भविष्य में खुद के साथ काम करने वाले कांग्रेस जनों को तराश सकें।  सत्ता और संगठन के बटवारे में पायलट और गहलोत अपने-अपने कैंप के लोगों के नाम आगे कर चुके हैं।  

सूत्र बता रहें हैं कि अब बस एक बात पर पेच फंसा हुआ है और वो है सचिन पायलट की अगली जिम्मेदारी। और यही इस पूरे प्रकरण के असल पटाक्षेप का आखिरी दृश्य होगा।