धींगपुरा में पहुंचा पैंथर रड़का गांव में 24 घंटे में वन विभाग की टीम ने किया रेस्क्यू
जालोर जिले के सरवाना के धींगपुरा में पैंथर को वन विभाग की टीम ने 24 घंटे बाद ही गुजरात बाॅर्डर के गांव रड़का से रेस्क्यू कर पकड़ लिया। पैंथर रड़का में पुलिया के नीचे से गुजर रही एक पाइपलाइन में छिपा था। उसे जोधपुर से आई रेस्क्यू टीम ने ट्रेंक्यूलाइजर गन से बेहोश कर पकड़ा। जानकारी के अनुसार पैंथर धींगपुरा पुलिया के पास देखा गया था जिससे क्षेत्र के लोगों में दहशत फैल गई। ग्रामीणों ने इसकी सूचना पुलिस व वन विभाग को दी। सूचना पर वन विभाग के कार्मिक मौके पर पहुंचे। टीम ने पगमार्क देखकर पैंथर होने की पुष्टि की। ग्रामीणों को भी पैंथर से बचाव के लिए सावचेत रहकर सावधानी बरतने को कहा गया। इधर सुबह वन विभाग की टीम ने पैंथर के पगमार्क देखकर तलाश शुरू की। लेकिन पैंथर नहीं मिला। उसके बाद रडक़ा क्षेत्र में फिर पगमार्क मिले तो उसके क्षेत्र में ही होने की पुष्टि हुई। उसके बाद रेस्क्यू टीम ने पैंथर को ट्रेस कर ट्रेंक्यूलाइज किया। दूसरी ओर पैंथर के पकड़े जाने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली।
जोधपुर से आई वन विभाग की टीम में दूसरे ही दिन पकड़ा पैंथर
जिले में वन्यजीवों के रेस्क्यू के लिए टीम जोधपुर से आती हैं। जिस इलाके में पैंथर था वहां से जोधपुर की दूरी करीब 300 किमी हैं। ऐसे में टीम समय पर नहीं पहुंच पाती। जिससे पैंथर अन्यत्र निकल जाता हैं। पिछली बार भी टीम के समय पर नही पहुंचने से पैंथर ने दहशत फैलाई थी जिससे चार लोग घायल हुए।
पगमार्क मिलने के बाद रातभर की निगरानी, सुबह चलाया सर्च अभियान
पैंथर के पगमार्क मिलने के बाद वन विभाग की टीम अलर्ट हो गई। टीम ने पुलिस के साथ क्षेत्र में निगरानी रखी। ग्रामीणों को भी पैंथर दिखने पर तुरंत सूचना देने को कहा गया। लेकिन रातभर कही न हलचल हुई और न ही उसकी दहाड़ सुनी गई। ऐसे में सुबह टीम ने सर्च अभियान शुरू किया।
रात को 8 किमी दूर चला गया पैंथर पुलिया के नीचे गुजर रही पाइपलाइन के पास बैठा मिला
गुरुवार दोपहर को पैंथर धींगपुरा पुलिया के देखा गया था। यहां से चलकर पैंथर करीब 8 किमी दूर गुजरात बोर्डर के रडक़ा पहुंच गया। यहां पैंथर पुलिया के नीचे से गुजर रही पाइप लाईन के पास बैठा मिला। वन अधिकारियों के अनुसार पैंथर अमुमन रात के समय ही एक जगह से दूसरी जगह के लिए निकलता हैं। ऐसे में रात के बाद वो गुजरात सीमा में चला जाता।
किसान व कार्मिकों को पहले भी किया था घायल
पिछले साल 28 अगस्त को भी क्षेत्र में पैंथर ने दो किसान सहित वन विभाग के कार्मिकों को जख्मी कर दिया था। टीम ने तीन दिन तक रेस्क्यू किया लेकिन पैंथर को पकड़ नहीं सकें। इस क्षेत्र के गांवों में कई बार पैंथर आता रहता हैं। वन अधिकारियों के मुताबिक गुजरात से बाड़मेर की ओर पैंथर इसी रास्ते से आते जाते हैं। कई बार रास्ता भटकने से पैंथर आबादी में घुस आते हैं।
सुरेश धवल जालोर राजस्थान
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