ब्यूरो रिपोर्ट! रजवाड़ा काल से ही जयपुर में परंपरा रही है कि होली के दिन सबसे पहले विधि विधान के साथ राजघराने में होलिका दहन होता है और उसके बाद इसकी अग्नि से ही पूरे परकोटा क्षेत्र में होली दहन करने की शुरुआत होती है। यह परंपरा जयपुर शहर की स्थापना के साथ ही शुरू हुई थी और उसको शहरवासी अभी तक बखूबी निभा भी रहे हैं, लेकिन इस बार राजघराने की होली विवादों के घेरे में आ गई। दरअसल हुआ यूं कि गोधूलि बेला के शुभ मुहूर्त के अनुसार सैकड़ों लोग अग्नि पुले लेकर राजघराने के बाहर पहुंच गए। लेकिन जब मुहूर्त बीतने के 1 घंटे बाद भी राजघराने की होली नहीं जली तो लोगों में आक्रोश व्याप्त हो गया। उन्होंने राज परिवार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। हंगामे के बीच पुलिस को भी बुला लिया गया। इसके बाद राजघराने की होली 8:45 बजे ली और उसके बाद ही लोगों को अग्नि लेने के लिए सिटी पैलेस में प्रवेश दिया गया। इसी बीच शहर में पहली बार कई होली राजघराने की अग्नि के बिना ही मंगल हो गई। राजघराने की इस हठधर्मिता पर शहरवासी खासे आक्रोशित नजर आए। उनका कहना था कि राज परिवार की नई पीढ़ी अब धर्मशास्त्र की रीति नीति पर नहीं बल्कि अपनी मनमानी करने पर तुली है जो कि राजघराने की मर्यादा के खिलाफ है।