राजसमंद से सोनिया सनाढ्य।

फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा के अवसर पर रविवार को राजसमंद जिला मुख्यालय स्थित पुष्टिमार्गीय संप्रदाय की  तृतीय पीठ श्री द्वारकाधीश मंदिर में डोल महोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। 

इस उत्सव को होली के आयोजनों का आखिरी पड़ाव माना जाता है। डोल महोत्सव के साथ ही मंदिर में पिछले 40 दिनों से आयोजित हो रहे होली के विभिन्न कार्यक्रमों पर विराम लग गया। अब प्रभु को गुलाल की सेवा अगले साल फाल्गुन मास में अंगीकार कराई जाएगी। इससे पहले प्रभु श्री ने आज भक्तों के साथ अबीर गुलाल और रंगों के साथ जमकर होली खेली। इस दौरान मंदिर का माहौल सतरंगी हो गया गुलाल और अबीर में सराबोर भक्त प्रभु की भक्ति में भाव विभोर नजर आए। इस दौरान मंदिर में बृजवासी बालकों ने रसिया गायन कर माहौल को भक्तिमय बना दिया। द्वारकाधीश मंदिर के गोस्वामी वेदांत कुमार ने श्रद्धालुओं पर रंगों की बौछार की श्रद्धालु सुध बुध खो कर भक्ति में भाव विभोर हो उठे। गोस्वामी वेदांत कुमार ने बताया कि डोल महोत्सव ब्रज वासियों का प्रमुख त्यौहार होता है जैसे गुजरात में नवरात्र पंजाब में बैसाखी होती है वैसे ही भगवान श्री कृष्ण के बृजवासियों के लिए डोल महोत्सव उतना ही पवित्र होता है। 40 दिनों तक भगवान को चंदन चौहा, अबीर और गुलाल की सेवा अंगीकार कराई जाती है. जो जीवन के चार प्रमुख रंग होते हैं।  महोत्सव के बाद आप प्रभु को गुलाल अगले फाल्गुन मास में ही अंगिकार कराई जाएगी। तब तक प्रभु को गुलाल की सेवा वर्जित रहेगी।