जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट,
विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर नेट-थियेट पर गुरू रवीन्द्र नाथ टैगोर की प्रसिद्ध कहानी नयनजोड के बाबू का सफल प्रदर्शन रहा। इस कहानी का नाट्य रूपान्तरण एवं निर्देशन वरिष्ठ रंगकर्मी संदीप लेले ने किया।नेट-थियेट के राजेन्द्र शर्मा राजू ने बताया कि विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर दो दिवसिय नाट्य संध्या का आयोजन किया गया है। जिसमें प्रथम दिन नाटक दो अकेली जिसका निर्देशन बबीता मदान ने किया।
नाट्य संध्या के दूसरे दिन गुरू देव की कहानी नयनजोड के बाबू का नाट्य प्रदर्शन किया गया। इस कहानी में प्रेम की महत्त एवं विद्वेश की निरर्थकता को बडी सुंदरता से रेखांकित किया गया। युवा अपनी अनुभवहीनता के चलते दूसरों के प्रति बैर का भाव पालते है किन्तु वास्तविकता कुछ और होती है। इस कहानी में एक युवा के मन में एक वृद्ध के लिये पल रहे विद्वेष को गुरू देव ने बडे ही मार्मिक शब्दों में चित्रण किया।
ये कहानी संदेश देती है कि प्रेम ईश्वर की सबसे सुंदर देन है, नाटक में नायक पार्थ नयन जोड के बाबू, कैलाश बाबू के प्रति गलत भावना रखता हैं। किन्तु गांव की सबसे सुंदर लडकी कुसुम सबके सामने सच्चाई बताती है तब उसका विरोध नही रहता है। नयनजोड के बाबू कहानी है बंगाल के मशहूर रईस खानदान के कैलाश राय चौधरी उर्फ दादाजी की। जो अब गरीबों का जीवन जी रहें है किन्तु गांव में अपने वैभव के झूंठे किस्से सुना कर सबको प्रभावित करते रहते है।
उनकी पोती कुसुम विवाह योग्य है। पडौसी पार्थ से विवाह करना चाहती है लेकिन दादा जी अपनी झूंठी शान-ओ-शौकत की वजह से पार्थ के परिवार वालों से ब्याह की बात नही करना चाहते। इसी बात से पार्थ के मन में उनके झूंठे दम्भ के प्रति विद्वेष होता है। कहानी को बहुत सुंदर और रोचक ढंग से प्रदर्शित किया गया। नाटक में संदीप लेले, प्रकाश दायमा, विपुल वशिष्ठ्, जेडी, वर्षा शर्मा, सक्षम तिवाडी, मनीष धाबाई, सुयश, तुषार व रितेश श्रीमाल ने अपने अभिनय से कहानी को जीवंत कर दिया। मंच संचालन अदिती जैन ने किया। प्रबंधन गुरमिंदर सिंह पुरी एवं जितेन्द्र शर्मा, रूप सज्जा रवि बांका, प्रकाश अंकित जांगिड़ ने की। संगीत विष्णु कुमार जांगिड़ का रहा। मंच संचालन में सौरभ कुमावत अंकित शर्मा नोनू, अजय शर्मा ने किया ।
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