प्रधान संपादक प्रवीण दत्ता की कलम से।

पिछले दो दिनों से मुंबई का एक वीडियो वायरल किया जा रहा है। यह बात फैलाने का प्रयास किया जा रहा है कि मुंबई में फिल्म एक्टर अजय देवगन एक 5 स्टार होटल से शराब के नशे में बाहर आ रहे थे कि होटल की लॉबी में कुछ पंजाबी युवकों ने उलाहना दी कि उनकी फिल्मों के हिट होने का कारण जो पंजाब के लोग हैं वे उन्हीं किसान परिवारों के खिलाफ ट्वीट करते हैं। बात फैलाई गई कि इस पर शराब के नशे में चूर अजय देवगन ने उन पंजाबी युवकों को गन्दी गन्दी गलियां बकी और होटल के पोर्च में उनका इंतज़ार कर रही अपनी कार की ओर बढ़ गए।  होटल की लॉबी में ना केवल अजय देवगन को बुरी तरह से पीटा गया बल्कि उन्हौने ने भी नशे में लड़खड़ाते हुए जवाब देने की कोशिश की।  यहाँ तक की एक नौजवान महिला पत्रकार तक को चांटा मार दिया।  यह सब आप ऊपर दिए वीडियो में देख सकते हैं। आप देख सकते हैं कैसे अजय देवगन को उनकी कार में बंधक बनाया गया और सिंघम को कैसे भीगी बिल्ली बना दिया गया। 

अब असल बात।  वीडियो में हुई घटना के बारे में जब राजकाज ने पड़ताल की तो कुछ और ही सामने आया। 

1. इस वीडियो का किसान आंदोलन से कोई लेना देना नहीं है। 

2. यह वीडियो काफी पुराना है।  अजय देवगन इस हेयर स्टाइल में नहीं है। यह मैं व्यक्तिगत आधार पर लिख रहा हूँ।  वे इन दिनों बिलकुल अलग तरह के बाल रखें हुए हैं जो उनके वर्तमान फिल्म / ओटीटी प्रोजेक्ट के अनुरूप है।

3. अजय देवगन के करीबी लोगों से जब मेरी बात हुई तो उन्हौने सिर्फ किसान आंदोलन से इस वीडियो का सम्बन्ध होने का खंडन किया लेकिन यह घटना कब की है इस बारे में बात करने से मना कर दिया। 

कुल मिलाकर कुछ अति उत्साही किसान आंदोलन समर्थकों ने यह कार्य कर दिया होगा जो कि अनुचित है।  हाँ वीडियो कभी का भो हो लेकिन इसके दृश्य सिंघम देवगन की कुछ और ही छवि बनाते हैं जो कि दुखद है।  मुंबई फिल्म इंडस्ट्री और शराब के नशे के बहुतेरे किस्सों में ये एक और सही। 

वहीँ अजय देवगन ने एक राष्ट्रीय अंग्रेजी दैनिक को कहा कि वीडियो में जो व्यक्ति दिखाई दे रहा है वह 'वे' नहीं हैं। अंग्रेजी अखबार ने इस हमशक्ल को डोपलगंगार यानि अनिष्ट लाने वाला हमशक्ल की संज्ञा दी है। राजकाज पहले ही यह कह चूका है इस होली तो अजय घर से निकले ही नहीं।  अब हमशक्ल वाला स्पष्टीकरण जब तक कुछ और सामने नहीं आता तब तक मान्य रहना चाहिए।  

आज एक मुम्बईया गाने से इति श्री करता हूँ। 

नशा शराब में होता तो नाचती बोतल। 

मैकदे झूमते, पैमानों में होती हलचल। 

नशे में कौन नहीं है मुझे बताओ यारों। 

नशा है सबको। 

मगर रंग नशे का है जुदा। 

अंत में - सत्ता के नशे और खुमारी से बड़ा नशा, इस दुनिया में और कोई नहीं।  और यही सबसे झूठा नशा है क्योंकि सत्ता कभी स्थाई नहीं होती।