श्रीगंगानगर से राकेश मितवा 


आज विश्व रंगमंच दिवस है ,इसी अवसर पर राज्य के प्रख्यात  रंगकर्मी विजय जोरा ओर राजा रणदीप गिरी ने राजकाज न्यूज़ को आज के दौर में रंगमंच की स्थिति को लेकर अपनी पीड़ा रखी। एक रंगकर्मी जब मंच पर अपने आपको दर्शकों के सामने प्रस्तुत करता है और दर्शक उसे प्रोत्साहित करते हैं तो वो ही उसके लिए सबसे बड़ा दिन होता है। हमें रंगकर्म करते हुए लगभग 25 साल हो गए हैं। 


जब हमने अपने रंगमंचीय जीवन की शुरुआत की थी। तब से अब तक का सफर काफी रोमांचक रहा। बहुत से कलाकार अब भी कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं और कुछ पारिवारिक परिस्थितियों के चलते रंगकर्म को अलविदा कह गए और वहीं नए - नए कलाकार साल दर साल जुड़ते रहे।कई मंच बदले, रंगकर्म के तरीके बदले, वक्त बदला, लेकिन नहीं बदली तो रंगमंच की परिस्थितियां और समस्याएं।आज भी रंगकर्मी को दर्शकों का अभाव है, आर्थिक मोर्चे पर जूझना पड़ता है। बस कुछ गिने-चुने रंगप्रेमियों का प्यार ही हमारे लिए संजीवनी जैसा काम करता है।हम रंगकर्मी भी अपनी साधना में लगे हुए हैं, इस सकारात्मक सोच के साथ....अभी हौसलों की उड़ान बाकी है,अभी परिंदों का इम्तहान बाकी है।अभी तो नापी है मुट्ठी भर ज़मीं,अभी तो सारा आसमान बाकी है।