गुनाह के दलदल में फंसे हाथ हुनरमंद बन रहे हैं, लेकिन सरकार के एक आदेश ने इनकी राह में अडंगा लगा दिया है। मामला जेलों में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में कैदियों काे दिए जा रहे प्रशिक्षण से जुड़ा है। जेल प्रशासन के पास औद्याेगिक प्रशिक्षण की 'फीस' जमा कराने के लिए पर्याप्त बजट है, लेकिन नियम से हाथ बंधे है। अब बंदी कल्याण कोष से फीस चुकाने के लिए सरकार से मंजूरी मांगी गई है।
जाने अनजाने में हुए अपराध की सजा भुगतने के लिए व्यक्ति जेल पहुंचता है। जेलों में सजायाफ्ता केदियों को औद्योगिक प्रशिक्षण दिया जाता है। कैदियों को विभिन्न ट्रेडों में प्रशिक्षण के लिए प्रदेश की सभी सेंट्रल जेलों में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान खुले हुए हैं। मकसद यह है कि सजा पूरी करने के बाद बंदी प्रशिक्षण के आधार पर अपना और परिवार का पेट भरने के लिए जीविकोपार्जन कर सके। लेकिन कई बार सरकार के इन प्रयासों में ही उसके ही आदेश नियम आड़े आ जाते हैं। ताजा मामला है बीकानेर सेंट्रल जेल परिसर में संचालित औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान का।
- दरअसल बीकानेर सेंट्रल जेल परिसर में संचालित औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान में 27 प्रशिक्षणार्थी प्रशिक्षण ले रहे हैं
- इनमें 13 डीजल मैकेनिक तथा 14 कोपा में प्रशिक्षण ले रहे हैं
- इनका प्रवेश सत्र 2019-20 का आवेदन शुल्क, पंजीकरण शुल्क, प्रशिक्षण शुल्क और परीक्षा शुल्क जमा कराना है बाकी है
- प्रवेश शुल्क और पंजीकरण शुल्क के 27-27 सौ रुपए, प्रशिक्षण शुल्क के 64800 तथा परीक्षा शुल्क 13500 रुपए सहित 83 हजार 700 रुपए जमा कराने हैं
- जेल अधीक्षक ने बंदी कल्याण कोष से 83 हजार 700 रुपए की वित्तीय-प्रशासनिक स्वीकृति मांगी है
- जेल महकमे ने अवगत कराया कि बंद कल्याण कोष में फीस जमा कराने के लिए पर्याप्त पैसा है, लेकिन खर्च करने की मंजूरी नहीं
- दरअसल जेल महकमें ने 9 मार्च 1994 को जेलों में शिक्षा, खेलकूद, मनोरंजन क्रिया कलाप, सांस्कृतिक कार्यक्रम, उत्सव, प्रवचन, औद्योगिक प्रशिक्षण के खर्च को बंदी कल्याण कोष से वहन करने की मंजूरी मांगी थी।
- राज्य सरकार ने 25 मार्च 1995 के आदेश में कारागृह में निरुद्ध बंदियों के कल्याणकारी अनुमोदन के संदर्भ में व्यवसायिक प्रशिक्षण पर होने वाले खर्च के अलावा सभी बिंदुओं को अनुमोदित कर दिया था
-जेल प्रशासन का कहना है कि राजस्थान बंदी कल्याण कोष में पर्याप्त बजट है, इस राशि में से ही भुगतान किया जाना है।
- ऐसे में परीक्षा शुल्क के लिए अतिरिक्त बजट की आवश्यकता नहीं है
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