जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
रंगे हाथ रिश्वत लेने वाले अधिकारी व कार्मिकों के नाम व फोटो उजागर नहीं करने के मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की पहले ही काफी किरकिरी हो चुकी। बाद में एसीबी को अपना काला फरमान वापस लेना पड़ा। अब एसीबी के कार्यवाहक डीजी हेमंत प्रियदर्शीने एक मौखिक निर्देश जारी किया है।एसीबी के अन्य अधिकारियों की मानें तो यह भी काले फरमान जैसा ही है। निर्देश दिए है कि एसीबी में एफआईआर दर्ज होने के बाद भ्रष्टाचारी के खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई चार्जशीट पेश होने तक सार्वजनिक नहीं की जाए। इसमें भ्रष्टाचारी के ठिकानों पर सर्च में क्या-क्या सम्पत्ति मिलती है, इसका भी खुलासा नहीं करने के लिए कहा है। कोर्ट में चार्जशीट पेश करने के दौरान ही इसका खुलासा किया जाए। सूत्रों के मुताबिक एफआईआर दर्ज होने के बाद भ्रष्टाचारी की सम्पत्ति चार्जशीट पेश करने की अवधि तक उजागर नहीं करने से भी भ्रष्टाचार पनपने की आशंका है। भ्रष्टाचारी अपनी सम्पत्ति के दस्तावेज को खुर्द-बुर्द करवा सकता है। क्योंकि एसीबी में ही एक आरपीएस अधिकारी भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार हो चुका है। इधर मामले को लेकर एसीबी के कार्यवाहक डीजी हेमत प्रियदर्शी ने बताया कि अनुसंधान के चलते सम्पत्ति की जानकारी नहीं दी जा सकती।चार्जशीट पेश करने के दौरान सम्पत्ति की जानकारी दी जाएगी।